कहा जाता है कि एक बार जब रम्भा कुबेर-पुत्र के यहाँ जा रही थी तो कैलाश की ओर जाते हुए रावण ने की नजर उस सुन्दर औरत पर पड़ी जो की असल में एक अप्सरा रम्भा ही मानवरूप में जन्मी हुई थी. रावण की कामवासना जाग उठी और वो रम्भा से जबरदस्ती करने लगा. उसी समय रम्भा ने रावण को अपना परिचय भी दिया की वो मेरे साथ दुष्कर्म न करे में तुम्हारी बहु हूँ.
रावण कैकसी और ऋषि विश्र्व का पुत्र था, कैकसी एक राक्षसी थी, विश्रवा के एक और पुत्र पहले से थे जो की कुबेर थे.कुबेर के पुत्र नलकुबेर थे जिनकी पत्नी थी रम्भा. रम्भा द्वारा परिचय देने के बाद भी रावण ना रुका और उसने अपनी ही बहु के साथ दुष्कर्म को अंजाम दिया.
रम्भा के साथ इस कुकृत्य के बाद कुबेर के पुत्र नलकुबेर ने रावण को श्राप दिया की अगर तुमने किसी और महिला के साथ ऐसा कुकर्म करने की चेष्टा भी की तो तुम्हारे दसो सर विस्फोट से उड़ जायेंगे. रावण को बाद में अपनी भूल का एहसास हुआ पर तब तक देर हो चुकी थी, उसी श्राप के कारण रावण सीता जी से जबरदस्ती नहीं कर पाया था.
Source: therednews.com
रावण कैकसी और ऋषि विश्र्व का पुत्र था, कैकसी एक राक्षसी थी, विश्रवा के एक और पुत्र पहले से थे जो की कुबेर थे.कुबेर के पुत्र नलकुबेर थे जिनकी पत्नी थी रम्भा. रम्भा द्वारा परिचय देने के बाद भी रावण ना रुका और उसने अपनी ही बहु के साथ दुष्कर्म को अंजाम दिया.
रम्भा के साथ इस कुकृत्य के बाद कुबेर के पुत्र नलकुबेर ने रावण को श्राप दिया की अगर तुमने किसी और महिला के साथ ऐसा कुकर्म करने की चेष्टा भी की तो तुम्हारे दसो सर विस्फोट से उड़ जायेंगे. रावण को बाद में अपनी भूल का एहसास हुआ पर तब तक देर हो चुकी थी, उसी श्राप के कारण रावण सीता जी से जबरदस्ती नहीं कर पाया था.
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