अयोध्याकाण्ड - Ayodhya-Kand

गोस्वामी तुलसीदास कृत रामचरितमानस के अयोध्याकाण्ड में श्रीराम राज्याभिषेक की तैयारी , वन गमन श्रीराम-भरत मिलाप तक के घटनाक्रम आते हैं। अयोध्याकाण्ड से जुड़े सभी घटनाक्रमों की सूची नीचे दी गई है। आप सभी घटना के बारे में उस पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं। 



अयोध्याकाण्ड मंगलाचरण

राम राज्याभिषेक की तैयारी, देवताओं की व्याकुलता तथा सरस्वती से उनकी प्रार्थना
सरस्वती का मन्थरा की बुद्धि फेरना, कैकेयी-मन्थरा संवाद, प्रजा में खुशी
कैकेयी का कोप भवन में जाना 
दशरथ-कैकेयी संवाद और दशरथ शोक, सुमन्त्र का महल में जाना और वहाँ से लौटकर श्री रामजी को महल में भेजना
श्रीराम-कैकेयी संवाद
श्रीराम-दशरथ संवाद, अवधवासियों का विषाद, कैकेयी को समझाना
श्रीराम-कौसल्या संवाद
श्रीसीता-राम संवाद
श्रीराम-कौसल्या-सीता संवाद 
श्रीराम-लक्ष्मण संवाद
श्रीलक्ष्मण-सुमित्रा संवाद 
श्रीरामजी, लक्ष्मणजी, सीताजी का महाराज दशरथ के पास विदा माँगने जाना, दशरथ जी का सीताजी को समझाना
श्रीराम-सीता-लक्ष्मण का वन गमन और नगर निवासियों को सोए छोड़कर आगे बढ़ना
श्रीराम का श्रृंगवेरपुर पहुँचना, निषाद के द्वारा सेवा 
लक्ष्मण-निषाद संवाद, श्री राम-सीता से सुमन्त्र का संवाद, सुमंत्र का लौटना 
केवट का प्रेम और गंगा पार जाना 
प्रयाग पहुँचना, भरद्वाज संवाद, यमुनातीर निवासियों का प्रेम 
तापस प्रकरण 
यमुना को प्रणाम, वनवासियों का प्रेम
श्रीराम-वाल्मीकि संवाद 
चित्रकूट में निवास, कोल-भीलों के द्वारा सेवा 
सुमन्त्र का अयोध्या को लौटना और सर्वत्र शोक देखना 
दशरथ-सुमन्त्रसंवाद, दशरथ मरण 
मुनि वशिष्ठ का भरतजी को बुलाने के लिए दूत भेजना
श्री भरत-शत्रुघ्न का आगमन और शोक
भरत-कौसल्या संवाद और दशरथ जी की अन्त्येष्टि क्रिया
वशिष्ठ-भरतसंवाद, श्री रामजी को लाने के लिए चित्रकूट जाने की तैयारी 
अयोध्यावासियों सहित श्री भरत-शत्रुघ्न आदि का वनगमन 
निषाद की शंका और सावधानी 
भरत-निषाद मिलन और संवाद और भरतजी का तथा नगरवासियों का प्रेम 
भरतजी का प्रयाग जाना और भरत-भरद्वाज संवाद
भरद्वाज द्वारा भरत का सत्कार
इंद्र-बृहस्पति संवाद 
भरत जी चित्रकूट के मार्ग में 
श्री सीताजी का स्वप्न, श्री रामजी को कोल-किरातों द्वारा भरतजी के आगमन की सूचना, रामजीका शोक, लक्ष्मणजी का क्रोध 
श्रीरामजी का लक्ष्मणजी को समझाना एवं भरतजी की महिमा कहना
भरतजीका मन्दाकिनी स्नान, चित्रकूट में पहुँचना, भरतादि सबका परस्पर मिलाप, पिता का शोक और श्राद्ध
वनवासियों द्वारा भरतजी की मंडली का सत्कार, कैकेयी का पश्चाताप 
श्री वशिष्ठ जी का भाषण
श्रीराम-भरतादि का संवाद 
जनकजी का पहुँचना, कोल किरातादि की भेंट, सबका परस्पर मिलाप
कौसल्या सुनयना-संवाद, श्री सीताजी का शील 
जनक-सुनयनासंवाद, भरतजी की महिमा 
जनक-वशिष्ठादि संवाद, इंद्र की चिंता, सरस्वती का इंद्र को समझाना 
श्रीराम-भरत संवाद 
भरतजी का तीर्थ जल स्थापन तथा चित्रकूट भ्रमण
श्रीराम-भरत-संवाद, पादुका प्रदान, भरतजी की बिदाई
भरतजी का अयोध्या लौटना, भरत जी द्वारा पादुका की स्थापना, नन्दिग्राम में निवास और श्री भरत जी के चरित्र श्रवण की महिमा


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