श्री राम दरबार
श्रीरामचरितमानस - SHRIRAMCHARITMANAS
१.बालकाण्ड
गोस्वामी तुलसीदास रचित श्रीरामचरितमानस भारतीय संस्कृति मे एक विशेष स्थान रखती है। वैसे तो श्रीरामचरितमानस के बहुत सारे संस्करण इन्टरनैट पर दिख जायेंगे, परन्तु मैंने यंहा पे सम्पूर्ण रामायण एकत्रित करने का प्रयास किया है।
रामराज्यवासी त्वम्,प्रोच्छ्रयस्व ते शिरम्,
न्यायार्थ युद्धस्व,सर्वेषु सम चर।
परिपालय दुर्बलम्,विद्धि धर्मं वरम्
प्रोच्छ्रयस्व ते शिरम्, रामराज्यवासी त्वम्||
भावार्थ-तुम रामराज्य वासी,अपना मस्तक उँचा रखो,
न्याय के लिए लडो,सबको समान मानो|
कमजोर की रक्षा करो,धर्म को सबसे उँचा जानो
अपना मस्तक उँचा रखो,तुम रामराज्य के वासी हो||
मेरे सभी मित्रों से निवेदन है की अगर मैंने यंहा पे श्रीरामचरितमानस में कुछ त्रुटि की है तो मुझे उसके लिए अपने सुझाव/परामर्श दें।
समर्पित: विश्व भर के सभी श्रीरामचरितमानस प्रेमियों को।
आप सभी के सुझाव एवं आलोचनाए सादर आमन्त्रित है।
कॉपीराइट: इस संकलन पर मेरा या मेरे किसी भी साथी का किसी भी तरह का कॉपीराइट नही है।
SHRI RAM CHARIT MANAS
ReplyDeleteकुछ ही लोग जानते हैं की श्रीरामचरितमानस मे लक्ष्मण रेखा का कोई ज़िक्र नही है -
स्वर्णमृग बने मारीच ने श्रीराम के वाण से आहत होने पर ‘हे लक्ष्मण’ पुकारते हुए जब आर्तनाद किया और उसकी ध्वनि सीता ने सुनी तो वे विचलित हो बैठीं और जिस ओर से शब्द सुनाई दिये उस ओर दौड़ पड़ीं ।
लक्ष्मण ने उन्हें समझाते हुए कहा “हे भीरु, किसी प्रकार की शंका मत करें, राम पर प्रहार कर सकने की सामर्थ्य भला किस में है । शुचिस्मिते, क्षण भर में ही आपको अपने पति श्रीराम के दर्शन मिल जाएंगे ।” ऐसा कहे जाने पर वे रोते हुए लक्ष्मण को शंका की दृष्टि से देखने लगीं । उज्ज्वल चरित्र वाली उन सीता की उस समय सहज स्त्री स्वभाव के कारण मति मारी गई । फलतः पतिव्रता साध्वी नारी सीता उन लक्ष्मण को कठोर, लांछनात्मक, वचन बोलने लगीं । राम के प्रिय तथा सदाचारी लक्ष्मण ने ऐसे कटु वचन सुनकर अपने दोनों कान ढक लिए और सीताजी को वन और दिशाओं के देवताओं को सौंपकर बड़े भाई श्रीराम के पास चले गये|
इसमें चोपाई हे
रामानुज लघु रेख खचाई ।
सोउ नही नाघेउ असि मनु साई ।। दोहा क्रमांक 36 की दूसरी चोपाई
कृपया बतायें कि १४ वर्ष के वनवास काल में भगवान श्री राम चित्रकूट कितने वर्ष या कितने दिन रहे?
ReplyDeleteLord Ramachandra lived around 11 to 12 years out of their 14 year long exile (Vanvaas) period at Chitrakut forest.
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